खामोश लम्हें

मन की बात

आज कल कुछ ज्यादा ही मशगूल हो गया हूँ, अपनी ज़िन्दगी में, अपने काम में कि लिखने का वक्त मिल ही नहीं पाता । ऐसा लगता है जैसे खुद से ही दूर हो गया हूँ, मशीन जैसा हो गया हूँ ।

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