शामें हो सोने में रम,
रातें मख़मल सी मद्धम,
धूप खिले कोमल रेशम,
हर दिन हो बस ऐसा ही ।
ख़ुशियों का घर हो चहरा,
ख़्वाबों पर ना हो पहरा,
हर दिल प्यार बसे गहरा,
हर इंसान हो ऐसा ही ।
झूठ कपट ना आए पास,
कोई ग़म ना हो हमखास,
सच्चाई की रहे सुवास,
हर एक मन हो ऐसा ही ।
यारी एक ही रिश्ता हो,
खुदा ही धड़कन बसता हो,
हर एक जान फ़रिश्ता हो,
हो हर दुनिया ऐसी ही ।