Paane ki Chaht – Hindi Poem – rahulrahi.in |
पाने की चाहत में जब,
आलिंगन में हाथ जुड़े तब,
चाहत के खोते ही दोनों,
हाथ छूट जाने हैं।
यौवन पर जो रुकती नज़रे,
पास आने के कारण ढूँढें,
रंग उड़ते ही बिछड़ जाने के,
होते सौ बहाने हैं।
सीने की गर्माहट तक ही,
बस जो मन पिघल पाता है,
आँच ठंडी होते ही,
वो रिश्ते टूट जाने हैं।
जितने वेग से दौड़ी इच्छा,
गर होगा वो प्यार ना सच्चा,
मिलन के बदले भिन्न किनारे,
मिलते सूख जाने हैं।
कल तक जो दीवाने थे,
एक पल दूर ना रहते थे,
आज है मीलों की खाई,
पास खड़े अनजाने हैं।
पूछा जो तुमने है सवाल,
मैं भी बताऊँ मेरा ख्याल,
जितने भी पाए हैं हमने,
सब अपने बेगाने हैं।
खुली किताब है छोड़ रखी,
पढ़े कोई इस मन की बात,
समझ के फिर लिखे अपना नाम,
उन संग मेरे ज़माने है।