RAFTAAR – रफ़्तार

कविता



तेज़ कर रफ़्तार तेरी,
मंजिलें हैं दूर बड़ी,
खामोश… 
हो ना जाए तेरे कदम,
रख हौसला, पहुँचेगा तू,
एक दिन… |

सुन तू बस तेरे दिल की,
दे अगर ना साथ कोई, 
यारा… 
तेरे संग है तेरे कदम,
रख हौसला पहुँचेगा तू,
एक दिन… |

मायूसियों की लहरें,
समंदर तेरे रास्ते,
तूफ़ान ये ग़मों का,भिगोने के है वास्ते,

खींचे कोई तेरा हाथ तो,
मुड़ना नहीं ऐ सनम…
रख हौसला पहुँचेगा तू,
एक दिन… |


होगा तेरा पर्वतों से… सामना,
डर ना जाना कहीं पर,

भटका दे तुझको जो, जीवन की राहें,
बढ़ते रहना दीवाना बनाकर,

खुद से भी करनी पड़ेगी, एक जंग,
लड़ना… लड़ते – लड़ते… मर जाना…. 
हार ना मानना, है कसम…

रख हौसला पहुँचेगा तू,
एक दिन… |

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