When my pen writes – कब चलती है मेरी क़लम
#rahulrahi #hindipoetry
जब – जब दिल भर आता है, बिना कहे इस दुनिया में,
जीना दुभर हो जाता है, तब तब चलती है मेरी कलम।
जीवन के हर पहलू को, जीकर मरकर और फिर पाकर,
कुछ आता मेरे हिस्से जो, तब – तब चलती है है मेरी कलम।
किसी उपन्यास की ज़रूरत क्यूँ, मेरी हर साँस है संघर्ष,
सीने के मध्य का दावानल, कहीं किसी भीड़ के मौन में,
जब शोर है करता धीरे से, तब तब चलती है मेरी कालम।
नदियों – नहरों, झरनों – तारों, मुर्दा ज़िंदा इंसान के बीच,
एक पतली सी रेखा को खींच, जो सरहद से भी महीन है,
जब जब मुझको दिख जाती है, तब तब चलती है मेरी कलम।
तंग आकर कर लूँ आँखें बंद, दिल की धड़कन हो जाए मंद,
पर रति स्वप्न हो कैसे दफ़न, कैसे इस मन पर डालूँ कफ़न,
बनते जब रात के साए दिन, तब तब चलती है मेरी कलम।