एक और क़दम – हिंदी कविता | ONE MORE STEP – HINDI POETRY

एक और कदम – हिंदी कविता

एक और कदम बढ़ा है आज,
ईस बेगानी सी दुनिया में,
सिर्फ साथ है मेरे लफ्जों का,
और एक हाथ है उसका,
जो हाथ है हर एक के साथ,
वो हाथ बड़ा निराला है,
एक जादू फेरने वाला है,
वो गुरु सा कोई शिष्य है,
पर रहता सदा अदृश्य है,

कोई छड़ी है शायद पास उसके,
उसे पता सब हालात मेरे,
मैं उसी भरोसे चल निकला,
कानों में आती है आवाज़,
कुछ मद्धम एक सरगोशी सी,
मैं धीमी करता हूँ धड़कन,
फिर सुनता हूँ उसके पदचाप,
जिस ओर ले जाए बात उसकी,
एक और मैं कदम बढ़ाता हूँ,
एक और कदम बढ़ा है आज।


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